"पानी" मेरी कलम से - आचार्य श्री श्यामल किशोर जी महाराज

मंगलवार, 17 जनवरी 2017

"पानी" मेरी कलम से

पानी पानी को तरसता पानी !
पगनक को देख बरसता पानी !!
माँ ने पलको में जो समेत लिया !
माती थे  लोगो ने समझा पानी !!
बून्द ने जाने क्या सियासत की !
खून सस्ता है अब महंगा पानी !!
अजब है सब सलाम करने लगे !
जैसे ही आंखों से सुख पानी !!
यमुना 'श्यामल' है गंगा गोरी है !
आने देखा ही नही उम्र भर पिया पानी !!