राधा बाबा के चरणों में ... - आचार्य श्री श्यामल किशोर जी महाराज

गुरुवार, 26 जनवरी 2017

राधा बाबा के चरणों में ...



स्मरण भगवान का हो ,और संसार का विस्मरण हो जाये।पर न कृष्ण की याद आती है,और नाहीं संसार की विस्मृति हो पाती है।असल में अशांति का जड़ यही है,,
मूल में मनोकामनाओं की पूर्ती किआस संसार में है और ऐहिक इच्छाओं की सामग्री भी सँसार से ही मिलती है,,तो-----


कामनाओ के बीजारोपण बंद करे । एकमात्र कामना यही 


हो की की भगवान के नाम -रूप-लीला-धाम रूप चतुष्टय में 


से किसी 1 का आश्रय हो जाये। फिर बाक़ी व्यवस्था 


घनश्याम के जिम्मेदारी। मैंने तो संतो के आदेशानुसार


 नाम का आश्रय लिया,और आपने?