दो शब्द देश के लिए ,गणतंत्र दिवस के लिए - आचार्य श्री श्यामल किशोर जी महाराज

बुधवार, 25 जनवरी 2017

दो शब्द देश के लिए ,गणतंत्र दिवस के लिए

कल जब ..
                 मेरा पूरा देश गणतंत्र दिवस के उत्सव  में सरावोर होगा तब हम ये सोचंगे की हमारे जाती ब्राह्मण ,यादव ,चमार ,,दुसाद ,मुस्लमान ,जैन ,बौध धर्म में क्या चल रहा या जब हम साथ में बैठ कर अपने देश के सैनिक प्रभु सम्पन्नता और हमारे दुनिया के सबसे बेहतरीन हथियार जिन्हें बनाने में हमारे देश के बेहतरीन वैज्ञानिको ने अपने जीवन को तपाया है उनका सम्मान करेंगे ! क्या सिर्फ एक दिन सब साथ होकर हमारे देश के वीर सपूतो के बलिदान और उनके पराक्रम को यद् नहीं कर सकते ? लेकिन आज मई ऐसी बाते क्यूँ कर रहा आप से मई तो हिन्दू हु और गर्व है मुझे इस पर ,मै अपने जीवन का प्रतेक छण इस हिन्दू रूपी शारीर के लिए इश्वर का आभार प्रकट करता हूँ ,परन्तु जब हम इस देह की तरफ देखते है तो ये सब भूल जाते है क्योंकि हमारा देश


> हैं हिन् कुछ ऐसा जिसे बनाने के लिए कई वीर सपूतो ने अपने जीवन को इस मात्रभूमि के लिए अर्पण कर दिया क्या सिर्फ उस बलिदान को याद करके हम एक दिन के लिए अपने आपस के बुराइयों को नहीं मिटा सकते हैं ?आइये हम एक दिन सिर्फ दिखावे के लिए हिन् सही साथ आकर एक जुट होकर इस गणतंत्र दिवस को सफल बनाते हैं 
Gantantr Divas spetiol




"संस्कार और संस्कृति की शान मिले ऐसे,
हिन्दू मुस्लिम और हिंदुस्तान मिले ऐसे
हम मिलजुल के रहे ऐसे की
मंदिर में अल्लाह और मस्जिद में राम मिले जैसे"



"गंगा यमुना यहाँ नर्मदा,
     मंदिर मस्जिद के संग गिरजा,
शांति प्रेम की देता शिक्षा,
          मेरा भारत सदा सर्वदा..!!"







दे सलामी इस तिरंगे को
                 जिस से तेरी शान हैं,
सर हमेशा ऊँचा रखना इसका
                जब तक दिल में जान हैं..!!






ज़माने भर में मिलते हे आशिक कई ,
                                               मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता ,
                                             नोटों में भी लिपट कर, सोने में सिमटकर मरे हे कई ,
                                                    मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता