हमारे नए कथाओ का अनुभव ...... - आचार्य श्री श्यामल किशोर जी महाराज

मंगलवार, 24 जनवरी 2017

हमारे नए कथाओ का अनुभव ......


जब हमने देश के विभिन्न स्थानों पर जाकर कथा प्रचार एव अपने श्रोता गण को कथा सुनाने के लिए गए 
  तब हमें जरा भी अनुभव नही था की इस भक्ति रस रूपी कथा से  पूरी दुनियाक दीवानी होगी हमने नहीं सोचा था की लोगो के मन में आज भी अपने पौणानिक संस्कृतियों के प्रति इतनी श्रध्दा है ,हमने ये कथा रूपी जीवन को प्रारंभ करके अपने जीवन को एक नया आयाम दिया है जिसने हमे सात्विक विचार से परिचित कराके धन्य कर दिया !!
हमे अपने गुरुओ की विद्या सफल होते देख अति प्रसन्नता होती है क्योंकि यही गुण तो है सायद जिसके लिए विद्यार्थी जीवन भर प्रयासरत रहता परन्तु कम विद्यार्थियों को हिन् सफल गुरु शिक्षा अनुभव प्राप्त हो पता है क्योंकि सभी का जीवन भगवद प्रेम में मिल भी तो नही पाता न !


लेकिन कथाये भी सभी नहीं करा पाते क्योंकि इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे की रुपये का आभाव क्योंकि भगवद कथा तोडा खर्चीला तो हैं हिन् परन्तु मन हो तो कुछ भी संभव है पर श्रोता  किसी खर्च को सोंचे बिना पूरी ईमानदारी से कथा का आयोजन करवाते हैं ,परन्तु कुछ लोग नास्तिक विचार धरा के होते हैं जो की भगवन को छोडिये अपने सांस्क्रतिक जीवन को भी नकारते है उनका तो कोई कुछ नहीं कर सकता न 
कथा के दौरान अपने श्रोताओ को झूमता देख मन प्रसन्न हो जाता है क्योंकि वह भगवद ज्ञान हिन् क्या जिसको सुनके श्रोता हर्षित न हो उठे ! लोग अपना सुख नाच गा के प्रसारित करते हैं चाहे वो इसमें निपुण हो या न भी ,उनका प्रेम हमें अचरज में भी डाल देता है
ये प्रेम सचमे अद्भुत है हमारे श्याम हैं भी इतने सुन्दर जिनके प्रेम में सभी बावरे हो जाते हैं ! हमारे श्रोताओ को श्याम का जन्म उत्सव और विवाह उत्सव मानाने में बड़ा मन लगता है तभी तो पूरा दिन मेहनत से इस उत्सव की तयारी करते हैं ! छोटे बच्चे श्यामं बनने को आतुर रहते है तो बड़े उनके ग्वाल मित्र ये एक अद्भुत संगती है जिसका प्रेम आप कहीं आप खोज ही नहीं सकते है !





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