भगवद् ज्ञान - आचार्य श्री श्यामल किशोर जी महाराज

मंगलवार, 21 फ़रवरी 2017

भगवद् ज्ञान

कलयुग के इस समय में हम सभी अपने जीवन में आने वाले तरह तरह के उतार चढ़ाव का सामना करते है, कई बार परिस्थितिया इतनी गंभीर हो जाती है कि कोई हल नजर नहीं आता
शायद भविष्य में आने वाली ऐसे परिस्थितियों का सामना करने के लिए और हमारा मार्गदर्शन करने के लिए ही भगवान कृष्ण ने कुछ अमूल्य बाते हज़ारो साल पहले अर्जुन से कही थी , सौभ्ग्य्वाश उन बातो को उस ज्ञान को आज भी हम पढ़ सकते है समझ सकते है। वो ज्ञान रूपी उपदेश आज भी गीता जैसे पवित्र ग्रन्थ में संगृहीत है!
आइये इस पवित्र पुस्तक और उसमे छिपे ज्ञान के विषय में कुछ रोचक और अमूल्य बातों को जानते हैं !!!!!!

1. गीता महाभारत में छंद का सबसे महत्वपूर्ण संग्रह है।

2. गीता, श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेशो का वह संग्रह है जिसमे भगवान कृष्ण अर्जुन को युद्ध और जीवन का अर्थ स्पष्ट करते हैं।


3. पूरे विश्व के हिन्दू धर्म को मानने वाले गीता और इसके महत्त्व के विषय में अपने पूर्वजो से सदियों से सुनते आये हैं


4. गीता उचित और अनुचित को समझाने वाली एक ऐसी तार्किक बातो का संग्रह है जो श्री अर्जुन और उनके सारथि कहे जाने वाले भगवान श्री कृष्ण के बीच हुई थी


5. यह धार्मिक पुस्तक ज्ञान का वह भंडार है जो हमारे जीवन में आने वाली सभी परिस्थितियों का हल ढूंढने में सहायक हो सकता है


6. गीता हमको सिखाती है कि मानसिक शांति और जीवन उपरांत मोक्ष की प्राप्ति के लिए यह जरुरी कि हम अपनी इछाओं को काबू में रख सके।


7. गीता यह भी सिखाती है की मृत्यु का भय व्यर्थ है क्युकी मृत्यु कभी भी हमारे शरीर में विराजमान आत्मा को मार नहीं सकती , मृत्यु मासपेशियों से बने एक शरीर का अंत मात्र है


8. कर्म करना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है और कार्य को पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करना चाहिए, कार्य करते समय परिणाम का भय होना व्यर्थ है


9. गीता के अनुसार भगवान हमेशा हर क्षण हमारे साथ है और कण कण में विराजमान है.



10. दूसरों के लिए बुरी भावनाओ अथवा कुविचारों को अपने मन में रखना हमारे खुद के विनाश का कारण है। इन कुविचारों को अपने मन से कोषों दूर रखना चाहिए।



“ जिसके जीवन में भगवत कथा नहीं है, उनके जीवन में भगवत ज्ञान भी नहीं है,भगवत रस भी नहीं है, भगवत विश्रांति भी नहीं है,
तो बचा ही क्या जीवन में ?”