नमस्कार का भारतीय महोत्व और संस्कार से जुडाव - आचार्य श्री श्यामल किशोर जी महाराज

सोमवार, 9 जनवरी 2017

नमस्कार का भारतीय महोत्व और संस्कार से जुडाव


नमस्कार करना हमारी संस्कृति का प्रतीक है, हिंदुस्तानियों की पहचान बना 'नमस्कार' केवल एक परंपरा ही नहीं बल्कि इसके कई भौतिक और वैज्ञानिक फायदे हैं।जिनके बारे में आप में से बहुत कम लोग जानते होंगे।

नमस्कार का अर्थ होता है सभी मनुष्यों के हृदय में एक दैवीय चेतना और प्रकाश। नमस्कार शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के नमस शब्द से हुई है, जिसका अर्थ होता है एक आत्मा का दूसरी आत्मा से आभार प्रकट करना। इसी कारण जब इंसान एक-दूसरे से मिलता है और विदाई लेता है तो लोग नमस्ते या नमस्कार या प्रणाम करते हैं।

अनाहत चक
नमस्ते करने के लिए, दोनो हाथों को अनाहत चक पर रखा जाता है, आँखें बंद की जाती हैं और सिर को झुकाया जाता है।

दैवीय प्रेम का बहाव
हाथों को हृदय चक्र पर लाकर दैवीय प्रेम का बहाव होता है। सिर को झुकाने और आँखें बंद करने का अर्थ है अपने आप को हृदय में विराजमान प्रभु को अपने आप को सौंप देना।

मनोवैज्ञानिक तरीका
जब इंसान को बहुत गुस्सा आये तो उसे तुरंत लोगों को नमस्कार कर देना चाहिए क्योंकि नमस्कार करने पर आपके दोनों हाथ जुड़ जाते हैं तो आप गुस्सा नहीं कर पाते हैं। और आपको यूं देखकर सामने वाले का भी गु्स्सा शांत हो जाता है।

संस्कृत से उत्पत्ति
नमस्कार शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के नमस शब्द से हुई है, जिसका अर्थ होता है एक आत्मा का दूसरी आत्मा से आभार प्रकट करना।

जय श्री कृष्णा